विष्णुपदाचे अनन्य साधारण महत्व


ज्ञानोबा माउलीने  संजीवन  समाधी  घेतली तेव्हा  व्यथित  होऊन  भगवान  पांडुरंग  मार्गशीर्ष  महिन्यात  विष्णुपदाला  वास्तव्यासाठी  आले  त्यामुळे  
#विष्णुपद -- संतोष हलकुडे सर
पंढरपूर  पासून  दोन  किलोमीटर  अंतरावर चंद्रभागा नदी पात्रात  विष्णुपद  मंदिर  आहे  अशी  आख्यायिका  सांगितली  जाते  कि  पंढरपूर  अस्तित्वात  येण्याआधी  इथे  गयासुर  नावाचा  राक्षस  राहत  होता  जो तपस्वी  होता  त्याच्या  दर्शनाने  अबाल  वृद्ध महापातकी  यांचा  उद्धार व्हायचा त्यामुळे  यमलोकी  कोणी  जात  नसे  यावर  यमाने  देवाकडे  याचना  केली कि अस होत  राहिले  तर  यमलोकी  कोणीही  येणार  नाही  
त्यावर  ब्रह्मदेवाने  विष्णूच्या  मदतीने  गयासुराला  पाताळात गाढले  त्यामुळे  जिते  विष्णू चरणाचा  स्पर्श झाला  ते  विष्णुपद  तसेच  इथे कृष्णचरण  आहेत  माता  रुक्मिणी  रुसून  पंढरपुरा  आली  तेव्हा  तिला  शोधात  आलेल्या  कृष्णानी  इथे  गोपाळकाल  केला  बासरी  वाजवली  म्हणून  कृष्णचरण  पाहायला  मिळतात  ज्ञानोबा माउलीने  संजीवन  समाधी  घेतली तेव्हा  व्यथित  होऊन  भगवान  पांडुरंग  मार्गशीर्ष  महिन्यात  विष्णुपदाला  वास्तव्यासाठी  आले  त्यामुळे  आजही  मार्गशीर्ष  महिन्यात  देवाचे  वास्तव्य  विष्णुपदाला  असते  असे  मानले  जाते  
मंदिरातील  सर्व  नित्योपचार  मार्गशीर्ष  महिन्यात  विष्णुपदावर केले जातात  या  सर्व कारणांमुळे  भाविक  भक्तांच्या  दृष्टीने  विष्णुपदाचे  अनन्य साधारण  महत्व  आहे  म्हणूनच भाविक  दर्शनाकरित  न  चुकता  विष्णुपदला  येतात.

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